मध्यप्रदेश में पहली बार जिला घरेलू उत्पाद के आंकड़े जारी किए गए

मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था का आधे से अधिक प्रतिशत इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन, जैसे सिर्फ 10 जिलों से आता है। 

हालांकि प्रदेश में पहली बार जारी हुए जिला घरेलू उत्पाद के आंकड़े बताते है कि जिन जिलों को अब तक आर्थिक रूप से पीछे माना जाता था, उन्होंने बीते 10 वर्ष में एक जबरदस्त छलांग लगाई है।

वर्ष 2011-12 से 2022-23 के बीच प्रदेश की कुल जीडीपी 3. 16 लाख करोड़ से बढ़कर 12.46 लाख करोड रुपए हो गई। इसी दौरान सीधी, डिंडोरी, रीवा, राजगढ़ और खरगोन जैसे आदिवासी बाहुल्य छोटे जिलों की इकोनॉमी में 383 प्रतिशत से 491% तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई,  वहीं बड़े जिलों की बात करें तो इंदौर 82.83 हजार करोड़ के जिला घरेलू उत्पाद के साथ सबसे आगे है। इसके बाद भोपाल, जबलपुर और उज्जैन का नंबर आता है। इसके अलावा ग्वालियर, सागर, सिंगरौली, सतना, धार और रायसेन टॉप 15 में है।

मध्य प्रदेश में हम इसे विकास का नया नक्शा कहे तो यह भी कम नहीं होगा और आदिवासी जिलों में जबकि 400 प्रतिशत से अधिक ग्रोथ है, प्रति व्यक्ति आय इंदौर में 1. 89 लाख सालाना भोपाल में 1. 87 लाख प्राथमिक क्षेत्र प्राकृतिक संसाधन में सबसे अधिक 71% योगदान कृषि का है,  वही मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में सबसे अधिक 42% योगदान कंस्ट्रक्शन और 40% इंफ्रास्ट्रक्चर का है, वही सर्विस में रियल स्टेट का 30% योगदान है।

डीडीपी में इंदौर, भोपाल, जबलपुर,  उज्जैन ये चार जिले टॉप में है, इनका यदि प्रतिशत क्रमशः देखें तो इंदौर 82. 83 प्रतिशत, भोपाल 56. 84 प्रतिशत, जबलपुर 53. 56 प्रतिशत, उज्जैन 43. 86 प्रतिशत इसके अलावा इंदौर की डीडीपी भोपाल से 26. 39 हजार करोड़ अधिक है।

प्रति व्यक्ति सालाना आय की यदि हम बात करें तो यह इंदौर में सबसे अधिक है , इसके बाद भोपाल उज्जैन से डिंडोरी डिंडोरी में सबसे कम है।

डीडीपी में एक तीन जिले सबसे नीचे हैं डिंडोरी, अलीराजपुर और उमरिया।

और सीधी रीवा राजगढ़ डिंडोरी खरगोन ए सबसे तेज बढ़ाने वाले जिलों में आते हैं। इन आंकड़ों की मदद से अब हर जिले की आए और विकास को बेहतर समझा जा सकेगा इससे जिला योजना समितियां को सक्रिय किया जा सकता है और क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करने में भी मदद मिलेगी।

अर्थव्यवस्था में इन क्षेत्रों का बहुत अधिक योगदान है जैसे एग्रीकल्चर में कृषि 71%, पशुपालन 16%, माइनिंग 6%। मैन्युफैक्चरिंग की बात करें तो 42 परसेंट निर्माण, 40% विनिर्माण और 18 परसेंट अन्य है, सर्विस की बात करें तो 30 परसेंट व्यापार रिपेयर, होटल, रेस्टोरेंट,  14 प्रतिशत रियल एस्टेट, 13 परसेंट लोक प्रशासन, 9% वित्तीय सेवाएं एवं ट्रांसपोर्टर। 


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