पाकिस्तान हॉकी कप्तान अम्माद बट का विवादित बयान दिया गया है:- यह खेल है या राजनीतिक कटाक्ष? इससे हमें यह सीख मिलती है कि भारत को इस तरह के बयान देने से बचना चाहिए और यह ठीक नहीं है?

🔥 पाकिस्तान हॉकी कप्तान अम्माद बट का विवादित बयान दिया गया है:- यह खेल है या राजनीतिक कटाक्ष? इससे हमें यह सीख मिलती है कि भारत को इस तरह के बयान देने से बचना चाहिए और यह ठीक नहीं है?

22 जून 2025 को भारत-पाकिस्तान के बीच एक बार फिर से शब्दों की जंग छिड़ गई, लेकिन इस बार मैदान पर नहीं बल्कि सोशल मीडिया पर।

क्या कहा गया?
पाकिस्तान पुरुष हॉकी टीम के कप्तान अम्माद बट ने फ्रांस के खिलाफ जीत के बाद ट्विटर पर एक पोस्ट की।


 "Rafale down again"
यह पोस्ट भारतीय राफेल फाइटर जेट्स का ताना उड़ आती नजर आई।

इसमें कहने का क्या मतलब था?

अहमद बट की टीम ने फ्रांस को हराकर एक बड़ी जीत दर्ज की लेकिन राफेल डाउन कहना सीधे तौर पर भारत की सैन्य शक्ति पर कटाक्ष माना गया क्योंकि भारत ने फ्रांस से राफेल जेट खरीदे हैं।

भारत में इससे क्यों मचा बवाल?
भारतीय सोशल मीडिया यूजर्स ने इसे एक राजनीतिक और साइन अपमान के रूप में देखा इस सिर्फ खेल नहीं है यह हमारे देश के मान सम्मान से जुड़ा विषय है एक यूजर ने ट्वीट किया।

खेल को राजनीति से जोड़ना कितना उचित?
खेल का उद्देश्य होता है- समरसता, सहयोग और प्रतिस्पर्धा।
लेकिन जब खिड़की राजनीतिक बयान बाजी करने लगे तो सवाल उठते हैं - 

क्या यह खेल भावना है?
क्या यह खेल के मंच का दुरुपयोग नहीं?

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
भारतीय यूज़र ने अम्माद बट की आलोचना की।
कई ने इसे "नीचता की हद" बताया।
कुछ लोगों ने कहा जो मैदान पर नहीं जीत सकते वह जुबान से बाहर करते हैं।

पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान में अम्माद बट की पोस्ट को वीरता के रूप में पेश किया गया।
कई पाकिस्तानी यूजर्स ने भारत के खिलाफ टिप्पणियां करना शुरू कर दिया।

खेलों में कूटनीति: इतिहास से उदाहरण
ऐसे पहले भी उदाहरण मिलते हैं:

1980 के ओलंपिक में अमेरिका ने सोवियत यूनियन का बहिष्कार किया।

भारत-पाक क्रिकेट मैचों में हमेशा राजनीतिक तनाव झलकता है।

खेल संगठनों की चुप्पी क्यों?
अभी तक अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ और पाकिस्तान हॉकी बोर्ड की तरफ से कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई है।
यह चुप्पी सवाल खड़े करती है कि- 

क्या खेल संगठनों को ऐसी टिप्पणियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं करनी चाहिए?

मीडिया का रोल
भारतीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में इस मुद्दे को प्रमुखता मिली।
टीवी चैनलों, यूट्यूब, ट्विटर और न्यूज वेबसाइट्स पर यह खबर छाई रही।
हर कोई यही पूछ रहा है क्या यह एक खिलाड़ी के लायक बयान था?
भारत की ओर से क्या प्रतिक्रिया?

अभी तक भारत सरकार की कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है लेकिन मीडिया और रक्षा विशेषज्ञ ने इसे एक आपरिपक्व और उकसाने वाला बयान कहा है?

वैश्विक नजरिया
दुनिया भर के खेल प्रेमी मानते हैं की राजनीति और खेल को अलग रखना चाहिए, एक खिलाड़ी की पहचान उसकी खेल भावना से होती है ना कि उसके बयानों से?

मनोवैज्ञानिक नजरिया
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे बयान ध्यान खींचने के लिए होते हैं, जब कोई खिलाड़ी या टीम मीडिया में पीछे होती है, तो विवादित बयान एक शॉर्टकट बन जाते हैं।

आगे क्या?
यदि अम्माद बट अपने बयान पर माफी नहीं मांगते तो यह मामला और गंभीर हो सकता है।
FIH जैसी संस्थाओं को इसमें हस्तक्षेप करना होगा ताकि भविष्य में कोई खिलाड़ी खेल की गरिमा को चोट ना पहुंचाएं।

निष्कर्ष 
"राफेल डाउन अगेन" जैसे बयान सिर्फ मजाक नहीं बल्कि देश की गरिमा और खिलाड़ियों की सोच को दर्शाते हैं।
खिलाड़ियों से अपेक्षा होती है कि वह खेल को जोड़ने का माध्यम बनाएं ना कि तोड़ने का।

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